वॉयस ऑफ ए टू जेड न्यूज:-बरेली जिले को गुरु विरजानंद सांगोपांग वेद गुरुकुल के रूप में सौगात मिलने जा रही है। इसमें वेदों के साथ ही एनसीईआरटी आधारित शिक्षण पद्धति से शिक्षण होगा।
सनातन एवं वैदिक संस्कृति को संरक्षित एवं अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए बरेली जिले को गुरु विरजानंद सांगोपांग वेद गुरुकुल के रूप में सौगात मिलने जा रही है। इसमें वेदों के साथ ही एनसीईआरटी आधारित शिक्षण पद्धति से शिक्षण होगा। न्यूनतम शुल्क देकर छात्र वैदिक संस्कृति से जुड़ सकेंगे। इसके लिए महर्षि दयानंद सरस्वती धर्मार्थ चिकित्सालय को गुरुकुल के रूप में परिवर्तित किया जाएगा।
गुरुकुल का संचालन महर्षि सांदीपनी राष्ट्रीय वेद संस्कृत शिक्षा बोर्ड की ओर से किया जाएगा। वेदाचार्यों की नियुक्ति भी हो गई है। शैक्षिक सत्र और परीक्षाएं बोर्ड के निर्देशानुसार ही कराई जाएंगी। प्रबंध समिति का कहना है कि महर्षि सांदीपनी राष्ट्रीय वेद संस्कृत शिक्षा बोर्ड से संचालित होने वाला यह जिले का पहला गुरुकुल होगा।
यहां से कक्षा 10वीं उत्तीर्ण होने वाले शिष्यों को वेद भूषण और 12वीं पास करने पर वेद विभूषण का अलंकरण दिया जाएगा। अन्य बोर्ड के समकक्ष ही इसकी भी मान्यता होगी। यहां से पढ़ने वाले विद्यार्थियों को भी उच्च शिक्षा व रोजगार के समान अवसर उपलब्ध हो सकेंगे।
महर्षि पाणिनी का अष्टाध्यायी एवं यजुर्वेद पढ़ेंगे विद्यार्थी
इस शैक्षिक सत्र में विद्यार्थियों को महर्षि पाणिनी की पुस्तक अष्टाध्यायी पर आधारित प्राचीन व्याकरण पढ़ाया जाएगा। इसके साथ ही योगदर्शन के रचयिता महर्षि पतंजलि की पुस्तक महाभाष्य को भी पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। वहीं, पहले शैक्षिक सत्र का शुभारंभ यजुर्वेद से होगा। साथ ही कक्षा छह से 12वीं तक एनसीईआरटी की किताबें भी पढ़ाई जाएंगी। गुरुकुल में सस्वर वेदशाला, संस्कृत की पूर्णकालिक पाठशाला, वेद, भाष्य, वेदांग, दर्शन शास्त्र आदि की शिक्षा भी दी जाएगी।
विद्यार्थियों को वैदिक संस्कृति के साथ ही तकनीकी शिक्षा भी दी जाएगी। विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी गुरुकुल के छात्र कॅरियर बना सकेंगे। ये विद्यार्थी प्रतियोगी परीक्षाओं में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन करने में सक्षम होंगे।
किसी भी वर्ग के विद्यार्थी गुरुकुल में प्रवेश ले सकेंगे। अनाथालय के विद्यार्थियों को भी इसमें शिक्षा-दीक्षा दी जाएगी। गुरुकुल पद्धति से संचालित इस विद्यालय में रहकर ही विद्यार्थियों को शिक्षा ग्रहण करनी होगी।
अनाथालय प्रबंध समिति के प्रधान आचार्य ओंकार आर्य ने बताया कि जिले में सनातन संस्कृति एवं वैदिक शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए इसी सत्र से यह गुरुकुल शुरू किया जाएगा। इस तरह का यह जिले का पहला शिक्षण संस्थान होगा।